दोस्तों नमस्ते, कैसे हैं सभी, GOD से प्रर्थना करता हूँ कि सब ठीक से होंगे।
"जियो जी भरके" के इस पाँचवी कड़ी में आज हम आप सभी के साथ बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक भोजन कैसे दें ? जिससे लाइफ में ताकतवर बलवान बने रहें, इसके बारे में चर्चा करेंगे :-
दोस्तों, हमलोग दिन में कई बार भोजन करते हैं। भोजन हम सभी के स्वास्थय में बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालता है। पोषण से भरपूर भोजन ही हम सभी को ताकतवर एवं बलवान बनाये रखता है। आईये अब निचे दिए गए कुछ बिंदुओं से हमलोग इसी बारे में और बहुत कुछ समझते हैं :-
- पोषण सब के लिए आवश्यक है। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए आवश्यकता अलग-अलग होती है, जिसमें एक शिशु, बढ़ता हुआ बच्चा, गर्भवती/धात्री/स्तनपान कराने वाली महिलाएं और बुजुर्ग लोग शामिल हो सकते हैं।
- आहार विभिन्न कारकों जैसे कि उम्र, लिंग, शारीरिक गतिविधि और विभिन्न शारीरिक चरणों में पोषण की आवश्यकता तथा अन्य कई कारकों पर निर्भर करता है।
- बच्चों की शारीरिक लंबाई और वज़न उनकी शारीरिक वृद्धि और विकास दर्शाता हैं, जबकि वयस्कों की लंबाई और वज़न अच्छे स्वास्थ्य की दिशा के उठाए गए चरण दर्शाता हैं।
- यदि आपके पास कोई शिशु या बच्चा है, तो सुनिश्चित करें, कि उसे उसकी बढ़ती उम्र के अनुसार पर्याप्त पोषण मिलता है। शिशु को जीवन के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। प्रसव के बाद, एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू किया जाना चाहिए तथा पहले दूध (कोलोस्ट्रम) को त्यागना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है तथा उसे कई संक्रमणों से भी बचाता है।
- स्तनपान, शिशु के लिए सुरक्षित पोषण सुनिश्चित करता है, जिससे संक्रमण का ख़तरा कम होता है तथा यह उसके संपूर्ण विकास में भी मदद करता है। शिशुओं की वृद्धि और स्वस्थ विकास के लिए स्तनपान सबसे अच्छा प्राकृतिक और पौष्टिक आहार है। स्तनपान करने वाले शिशुओं को अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है।
- छह महीने के बाद आप स्तनपान कराने के साथ-साथ अपने बच्चे को अनुपूरक आहार खिला सकते हैं। अनुपूरक आहार पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। ये अनुपूरक आहार सामान्यत: घर पर उपयोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि अनाज (गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा आदि) दाल (चना/दाल), मेवा तथा तिलहन (मूंगफली, तिल आदि), तेल (मूंगफली का तेल, तिल का तेल आदि), चीनी और गुड़ से तैयार किए जा सकते हैं। आप अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार के नरम/अर्ध ठोस खाद्य पदार्थ जैसे कि आलू, दलिया, अनाज या अंडे भी खिला सकते हैं।
1. शिशुओं
को जीवन के पहले छह महीनों के दौरान केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए।
2. शुओं
को दो वर्ष की आयु और उसके बाद तक अनुपूरक आहार के साथ लगातार स्तनपान कराया जाना
चाहिए।
3. छह
महीने की उम्र के बाद पर्याप्त, सुरक्षित और पोषक तत्वों से भरपूर विभिन्न प्रकार
के अनुपूरक खाद्य पदार्थों के साथ ‘स्तनपान’ कराया जाना चाहिए।
4. शिशु
एक समय में अधिक मात्रा में भोजन नहीं कर सकता हैं, इसलिए उसे निरंतर अंतराल पर
थोड़ी-थोड़ी मात्रा में (दिन में तीन से चार बार) आहार खिलाया जाना चाहिए। इसके
अलावा, आहार अर्ध-ठोस और गाढ़ा होना चाहिए, ताकि शिशु इसे आसानी से निगल सकें।
संतुलित आहार आपके बच्चे को पोषण संबंधी कमियों से बचाने की कुंजी है। प्रोटीन
ऊर्जा (कैलोरी) कुपोषण छह महीने से लेकर पांच वर्ष के बच्चों को अधिक प्रभावित
करता है। कुपोषण को "अपर्याप्त या असंतुलित आहार के कारण खराब पोषण की
स्थिति" के रूप में परिभाषित किया गया है।
स्मरण योग्य तथ्य :-
1. प्रसव
के बाद एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना शुरू करें तथा कोलोस्ट्रम को न त्यागें।
2. छह
महीने तक केवल (पानी भी नहीं) स्तनपान कराएं।
3. पोषक
तत्वों से भरपूर अनुपूरक खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा होगा कि दो वर्ष तक स्तनपान
कराना जारी रखें।
4. छह
महीने की उम्र के बाद शिशुओं के लिए केवल माँ का दूध पर्याप्त नहीं होता है। छह
महीने की उम्र के बाद स्तनपान कराने के साथ-साथ अनुपूरक आहार दिया जाना चाहिए।
5. कम
लागतपरक घर पर बनाए जाने वाली कैलोरी और पोषक तत्वों से भरपूर अनुपूरक आहार
खिलाएं।
6. शिशुओं
के लिए अनुपूरक आहार तैयार करते और खिलाते समय स्वच्छता पद्धति का पालन करें।
7. बच्चों
के आहार पर लगे पोषण संबंधी लेबल को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि बच्चों को संक्रमण का
ख़तरा सबसे अधिक होता है।
8.
जंक
फूड से बचें।
1. संतुलित
आहार खाने वाले बच्चे ‘स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली’ की नींव रखते हैं। इससे
दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का ज़ोखिम कम होता है। ‘बाल्यावस्था’ वृद्धि के
साथ-साथ मस्तिष्क विकास और संक्रमण से लड़ने का महत्वपूर्ण समय होता है। इसलिए, यह
बहुत आवश्यक है, कि बच्चों को ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों की अच्छी खुराक
मिलें। बच्चों के लिए अनुपूरक भोजन तैयार करते और खिलाते समय स्वच्छता पद्धतियों
का पालन करना बेहद महत्वपूर्ण है; अन्यथा यह कमी डायरिया/दस्त/अतिसार उत्पन्न कर
सकती है। बच्चों और किशोरों के सर्वोत्तम विकास और उनकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने
के लिए उचित तरीके से बनाया गया संतुलित आहार परम आवश्यक है। बच्चे के बाहर खेलने,
शारीरिक गतिविधि, सर्वोत्तम शारीरिक संरचना, बाद के जीवन में आहार संबंधी चिरकालिक
रोगों की स्थितियों और किसी भी प्रकार के विटामिन की कमी के ज़ोखिम को रोकने के लिए
भी संतुलित आहार आवश्यक हैं। किशोरावस्था में इसके साथ कई अन्य कारक जैसे कि लंबाई
और वज़न में त्वरित वृद्धि, हार्मोनल परिवर्तन और स्वभाव जुड़ें हैं।
2. इस
अवधि के दौरान हड्डियों (बोन मास) का विकास होता है, इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्य
पदार्थ जैसे कि दुग्ध उत्पाद (दूध, पनीर, दही) और पालक, ब्रोकली एवं सेलरी/अजवाइन
खाना ज़रूरी हैं, क्योंकि इनमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता हैं।
3. बच्चों
को ऊर्जा (कैलोरी) के लिए अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और वसा की आवश्यकता होती
है। इसलिए, उनके लिए ऊर्जा (कैलोरी) से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे कि साबुत अनाज
(गेहूं, भूरा चावल/ब्राउन राइस), मेवा, वनस्पति तेल, फल एवं सब्जियों जैसे कि केला
एवं आलू, शकरकंद का प्रतिदिन सेवन आवश्यक है।
4. बच्चों
के मामले में ‘प्रोटीन’ मांसपेशियों के निर्माण, मरम्मत और विकास तथा एंटीबॉडी
निर्माण के लिए आवश्यक हैं। इसलिए उन्हें ऐसा आहार दें, जिसमें मांस, अंडा, मछली
और दुग्ध उत्पाद शामिल हों।
5. बच्चे
के शरीर की अच्छी शारीरिक प्रक्रिया और प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने के लिए विटामिन
की आवश्यकता होती है। बच्चे के आहार में विभिन्न रंगों के फलों और सब्जियों को
शामिल किया जाना चाहिए। दृष्टि/आंखों की रोशनी के लिए विटामिन ‘ए’ आवश्यक है तथा
उसकी कमी से रतौंधी (रात में देखने में कठिनाई) होती है। गहरी हरी पत्तेदार
सब्जियां, पीले, नारंगी रंग की सब्जियां एवं फल (जैसे कि गाजर, पपीता, आम) विटामिन
‘ए’ के अच्छे स्रोत हैं।
6. विटामिन
‘डी’ हड्डियों की वृद्धि और विकास में मदद करता है तथा यह कैल्शियम के अवशोषण के
लिए आवश्यक है। बच्चे अधिकांशत: विटामिन ‘डी’ धूप से प्राप्त करते है तथा थोड़ी
मात्रा में कुछ खाद्य पदार्थों (मछली के तेल, वसायुक्त मछली, मशरूम, पनीर और अंडे
की जर्दी) से प्राप्त करते हैं।
7. मासिक
धर्म की शुरुआत (रजोधर्म) के कारण किशोरियां, किशोरों की तुलना में अधिक शारीरिक
परिवर्तन और मनोवैज्ञानिक तनाव महसूस करती है। इसलिए, किशोरियों को ऐसा आहार दिया
जाना चाहिए, जिसमें एनीमिया रोकने के लिए विटामिन और खनिज दोनों भरपूर मात्रा में
हों।
8. आजकल
बच्चों का झुकाव जंक फूड की ओर अधिक हो गया है, लेकिन आपके लिए अपने बच्चे को पोषण
से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने के लिए प्रेरित करना बेहद ज़रूरी है। अधिकांश बच्चों
में खाने की ख़राब/गलत आदतें होती हैं। ये आदतें विभिन्न दीर्घकालिक स्वास्थ्य
जटिलताएं उत्पन्न करती हैं, जैसे कि मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह टाइप 2 और ऑस्टियोपोरोसिस।
एक अभिभावक के तौर पर प्रतिदिन एक तरह के आहार की नीरसता (बोरियत) से बचने के लिए
अपनी आहार संहिता (मेनू) में लगातार बदलाव करते रहें। किशोरावस्था खराब/गलत आहार
की आदतों के साथ-साथ धूम्रपान, चबाने वाले तंबाकू या अल्कोहल जैसी बुरी आदतों के
लिए सबसे कमजोर समय होता है। इनसे बचा जाना चाहिए। पौष्टिक तत्वों से भरपूर
संतुलित आहार के अलावा, स्वस्थ जीवन शैली पद्धति और क्रीड़ा/खेल जैसी बाहरी
गतिविधियों में भागीदारी के लिए बच्चों और किशोरों को प्रोत्साहित किया जाना
चाहिए। नियमित ‘शारीरिक व्यायाम’ मज़बूती और आंतरिक बल बढ़ाता हैं। ये अच्छे
स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती के लिए आवश्यक हैं
1. शिशुओं
को खिलाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें और उनके आहार में नरम पकी हुई सब्जियां एवं
मौसमी फल शामिल करें।
2. बच्चों
और किशोरों को दूध और दूध से भरपूर उत्पाद दें, क्योंकि वृद्धि और हड्डियों के
विकास के लिए उन्हें कैल्शियम की आवश्यकता होती है।
3. अपने
बच्चे को बाहरी गतिविधियों और भोजन से पहले अपने हाथ धोने तथा दिन में दो बार अपने
दांत ब्रश से साफ़ करने जैसी स्वस्थ जीवन शैली पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित
करें। ये कुछ स्वच्छता पद्धति है।
4. एक
बार भोजन के दौरान अधिक खाने से बचें। लगातार अंतराल पर खाएं।
5. सूर्य
के प्रकाश के संपर्क में आने से विटामिन ‘डी’ को बनाए रखने में मदद मिलती है, जो
कि कैल्शियम के अवशोषण में भी मदद करता है।
6. बच्चे
को कभी भूखा न रखें। दूध और मसली हुई सब्जियों के साथ ऊर्जा (कैलोरी) दायक
अनाज-दाल युक्त आहार खिलाएं।
7. रोग
के दौरान पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें। उचित पोषण की स्थिति बनाए रखने के
लिए संक्रमण की अवधि के दौरान और बाद में बच्चे को अधिक खाने की ज़रूरत होती है।
8. दस्त/अतिसार/डायरिया
की अवधि के दौरान निर्जलीकरण रोकने और नियंत्रित करने के लिए जिंक टैबलेट के
साथ-साथ ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स (ओआरएस) का उपयोग करें।
9. शरीर
को हाइड्रेट (जलयोजित) करने के लिए 2-2.5 लीटर पानी पिएं। शीतल पेय और अन्य
पैकेज्ड ड्रिंक के बजाए पानी/छाछ/लस्सी/फलों के रस/नारियल पानी को प्राथमिकता दें।
तो दोस्तों, इन सुझावों से आप अपने परिवार एवं अपनी जिंदगी को स्वस्थ बनायें, बहुत बहुत तरक्की करें, यही मंगल कामना है। जल्द ही अगली कड़ी "JIO JEE BHARKE" WITH HEALTHY FOOD/DIET PLAN -3 FOR BABY MOTHER ( स्वास्थ्यवर्धक भोजन की शक्ति - ३ बच्चे की माँ के लिए ) प्रस्तुत किया जायेगा।
बहुत - बहुत धन्यवाद।
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Thanks a lot.
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